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Churu News : जसवंतगढ़ में जल्द ही कुलांचे भरते हुए नजर आएंगे काले हिरण, ग्रास लैंड किया जा रहा तैयार

नरेश पारीक/ चूरु. पर्यावरण प्रेमियों के लिए सुखद खबर है कि आने वाले दिनों में ताल छापर सहित नागौर जिले के जसवंतगढ़ में वह काले हिरणों को कुचाले भरते हुए देख सकेंगे. वन विभाग की ओर से काले हिरणों को संभवतया इस साल के अंत तक जसवंतगढ़ में शिफ्ट कर देगा. इसके लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही है.

हिरणों को शिफ्ट करने से पहले विभाग की ओर से उनके लिए ग्रास लैंड तैयार जा रहा है. डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि जसवंतगढ़ में हिरणों की पसंदीदा मोथीया सहित अन्य घास भी उगाई जा रही है. इसके लिए तालछापर अभयारण्य से मिट्टी लाकर जसवंतगढ़ में डम्पर से फैलाई जा रही है.

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डीएफओ दहिया ने बताया कि वन विभाग को ताल छापर से काले हिरणों को शिफ्ट करने के लिए 2230 बीघा जमीन अलाट कर दी गई है. इसके लिए सरकार की ओर से कुल चार करोड रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है, प्रथम किस्त के तौर पर करीब एक करोड रुपए दिए गए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में देसी व विदेशी पर्यटक तालछापर के साथ जसवंतगढ़ में भी काले हिरणों के झुंडों को कुुचाले मारते देख सकेंगे. उन्होंने बताया कि जसवंतगढ़ की भौगोलिक स्थिति तालछापर अभ्यारण्य से मिलती, जुलती है वहां की वनस्पति भी काले हिरणों के लिए अनुकूल है. उन्होंने बताया कि तालछापर में अभी एक हजार काले हिरण है, जिन्हें शिफ्ट किया जाना प्रस्तावित है.

जानकारी के मुताबिक थार के द्वार पर स्थित विश्वविख्यात तालछापर अभ्यारण्य यू तो अनेक प्रजाति के पशु-पक्षियों का एक स्थायी ठिकाना है. लेकिन इस अभ्यारण को विशेष अभ्यारण का जो दर्जा मिला है वो यहां कुलांचे मारते काले हिरण है जो यहां आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं. आजादी के बाद राज्य सरकार ने 1962 में इसे वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र घोषित कर यहां शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया. यहां वर्तमान में 4 हजार से अधिक हिरण है साल दर साल यहां हिरणों का कुनबा बढ़ रहा है.

उन्होंने बताया कि मेल और फीमेल हिरण बचपन में दोनो ही ब्राउन होते हैं और मेल धीरे-धीरे ब्लैक होना शुरू होता है और फीमेल हमेशा ही ब्राउन रहती है. उन्होंने बताया कि यहां 333 वैरायटी के बर्ड भी पाए जाते हैं. इनमें प्रमुख हैं लोंग इयर्ड आउल, स्टेप ईगल, व्हाइट ब्रॉड बुश चैट, व्हाइट टेल ईगल, स्पोटेड फ्लाई कैचर, कुरजा पक्षी, येलो आइड पिजन, हैरियर प्रमुख हैं. यहां करीब दो दर्जन तरह की ग्रास पाई जाती है. इनमें मोथिया, धामण, करड, डाब, लापला प्रमुख है.

तालछापर के दक्षिण क्षेत्र से 10 से 15 किमी दूर स्थित जसवंतगढ़ में 2230 बीघा भूमि हिरणों के लिए आरक्षित कर दी गई है. गौरतलब है कि अभी अभयारण्य के क्षेत्रफल के अनुपात में पांच गुणा ज्यादा हिरण यहां है ऐसे में इन हिरणो के चारे,पानी व रहवास में इन्हें समस्या आ रही थी शिफ्टिंग के बाद ये समस्या दूर हो जाएगी.

Tags: Churu news, Rajasthan news

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