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नये संसद भवन के उद्घाटन से नाराज हैं नीतीश कुमार, 19 और विपक्षी पार्टियां उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगी।

देश का नया संसद भवन बनकर तैयार हो गया है, कल यानी 28/05/23 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर-कमलों (हाथों) से संसद भवन का लोकार्पण किया जायेगा। नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की सुविधा की गई है. ताकि अगर भविष्य में क्षेत्रों का अगर परिसीमन हो तो बढ़े सांसदों को कोई दिक्कत ना हो। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश यह नया संसद भवन चार मंजिला है। ये पूरा क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है। इसकी लागत 862 करोड़ रुपये है।

जब से यह कवायत तेज़ हुई कि संसद भवन का अनावरण PM मोदी के हाथों होगा, तब से देश के कई विरोधी पार्टियां इस बात को लेकर काफी रोष में दिख रही है, JD(U), RJD, SP, AAP, AIMIM जैसे कई पार्टियों ने उद्घाटन में जाने से इंकार किया, इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि एक तो इन भवनों की तत्काल कोई जरूरत नहीं थी, चूंकि भारत सरकार अगर बनाई तो इसका उद्घाटन देश के महामहिम राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए, इन पार्टियों ने PM मोदी पर ‘दलित विरोधी’ और ‘महिला विरोधी’ होने का आरोप लगाया, क्योंकि हमारे देश के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी दलित महिला हैं। वहीं BJP के कई बड़े नेताओं ने कई राज्यों में बने विधानसभा भवनों के उद्घाटन को लेकर उन सभी विरोधी दलों को याद दिलाया की वहाँ भी मुख्यमंत्री या पार्टी के शीर्ष नेताओं के द्वारा कई भवनों का अनावरण किया गया।

उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव: सदन का लोकार्पण महामहिम राष्ट्रपति महोदया के हाथों से करना चाहिए, इसका हम सभी बहिष्कार करेंगे। हम सभी विपक्षी पार्टियां इसका प्रतिकार करेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार :  पटना में पंडित जवाहरलाल नेहरू के पुण्य तिथि में शामिल होने आये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण बातों को साझा किया, उन्होंने कहा का कि हम केंद्र की नीति आयोग के सभा कई कार्यक्रम होने के कारण में शामिल नहीं हो पाए। जब पत्रकारों ने नये संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि “अलग बिल्डिंग बनने की कोई जरूरी नहीं थी, शुरू में ही यह बात जब चली तो मुझे अच्छा नहीं लगा, पुराने भवन का अपना ऐतिहासिक इतिहास रहा है, ये सभी इतिहास को बदलना चाहते हैं, राष्ट्रपति जी को नहीं बुलाया गया, याद रखिये जो शासन में बैठे हैं, ये आजादी के इतिहास को बदल देंगे, नये संसद बनाने की कोई जरूरत नहीं थी।”