Neutral Journalism

शिक्षक अभ्यर्थीयों के समर्थन ने उतरे महागठबंधन सरकार विधायक, अपने शिक्षा मंत्री (प्रो. चंद्रशेखर) का कर रहे हैं विरोध, कह रहे हैं राज्य में डोमिसाइल नीति लागू होना चाहिए। 

बिहार जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ बिहार के तमाम नियोजित शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थी सड़क पर नई शिक्षक नियमावली (2023) को लेकर आंदोलनरत हैं। शुक्रवार को बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षक भर्ती फॉर्म को अब पूरे देश के अभ्यर्थी भरेंगे। यानी बिहार में अब डोमिसाइल नीति को खत्म कर दिया गया है। इसके पीछे शिक्षा मंत्री ने अपना तर्क रखते हुए कहा कि बिहार में शिक्षक भर्ती के समय ‘मैथ, साइंस और इंग्लिश’ जैसे विषयों के पद खाली रह जाते हैं, योग्य शिक्षकों का चयन नहीं हो पता है इसलिए हमलोग इसे पूरे देश में लागू करना चाहते है, ताकि देश भर से गुणी शिक्षकों का आना बिहार में हो। 

शिक्षा मंत्री के इस बयान से पूरे बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षकों में काफी रोष देखने को मिल रहा है। लगातार अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षकों बिहार के सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं और 2024 में सूपड़ा साफ कर देंगे का नारा लगा रहे है। 

वहीं जब से बिहार में शिक्षकों का यह मामला सामने आया है तब से महागठबंधन सरकार को बाहर समर्थन देने वाली लेफ्ट पार्टियों के विधायक; संदीप सौरभ और मेहबूब आलम अपने ही सरकार को मुद्दे के साथ घेरने में लगी है। 

संदीप सौरभ :

छात्र एकदम सही कर रहे हैं, लंबे समय बाद जब बिहार में डोमिसाइल नीति लागू हुआ उसके बाद रैंडमली उसे हटा दिया गया। बिहार में रोजगार के बेहद सीमित साधन हैं, उस परिस्थिति में जब 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की बहाली होनी थी यह रोजगार का साधन बन रहा था, आप 100 सीटों में 80-90 सीट बिहार के लिए रखते और बाकी के 10 सीट देश भर के लिए रखते तो अच्छा रहता। सब्जेक्ट वाइज परीक्षा +2 में होता है और +2 में STET अनिवार्य होता है और STET सिर्फ बिहार में होता है और कहीं नहीं होता है, 8-10 में भी STET होता है यानी डोमिसाइल ख़तम होने से सीधा असर अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षकों पर पड़ेगा। आपने जब 2019 में STET की परीक्षा ली गई थी तो सारे विषयों के सीटों पर यहीं के अभ्यर्थियों ने पास किया था तो बाहर क्यों जाना? सरकार को इस पर पुनर्विचार करनी चाहिए। हम सभी के काफी संघर्ष के बाद सभी सरकारी पद हेतु डोमिसाइल नीति बिहार में लागू करवाया, फिर क्यों आनन-फानन में यू-टर्न लिया गया। जब सरकार ने सभी जिलों से शिक्षकों के लिए रिक्तियां मंगवाई थी तो कहा गया की कितने शिक्षक परमानेंट, कितने नियोजित और कितने पद रिक्त हैं, आपने नियोजित शिक्षकों को तो पहले ही कार्यरत में गिन लिया था, फिर उसी रिक्ति में आप नियोजित शिक्षकों को भी शामिल कर रहे हैं। आप को उसी समय नियोजित शिक्षकों की गिनती कर लेनी चाहिए और उस हिसाब से सीटों की संख्या तय करनी चाहिए। सारी जवाबदेही सरकार की होगी, सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। हमारा समर्थन अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षकों के साथ है। 

महबूब आलम : 

डोमिसाइल नीति को खत्म करना प्रदेश के अभ्यर्थियों के विरोध में है, अभ्यर्थी शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे वहाँ पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज करना काफी गलत है, लाठीचार्ज करके नियमावली लागू करना उचित नहीं है। इसका मैं घोर निंदा करता हूँ। सरकार को इस पर सोचना चाहिए। शुरू से ही तमाम शिक्षाविद् और खुद सरकार के घटक दलों ने इसका विरोध किया है, सरकार गोल-गोल घुमा रही है, प्रदर्शन करना सभी का अधिकार है, सरकार को अभ्यर्थियों को स्वतंत्र छोड़ना चाहिए।