Neutral Journalism

KK पाठक से दुश्मनी और अपने विवादित बयानों से ही शिक्षा विभाग से हटे प्रो. चंद्रशेखर। 

कल यानी शनिवार को देर रात बिहार सरकार के तरफ से अधिसूचना जारी होती है, जिस पर मुख्य सचिव का हस्ताक्षर होता है। उस अधिसूचना में बिहार के तीन मंत्रियों के मंत्रालय में फेरबदल किया गया है। जिन तीन मंत्रियों के मंत्रालयों को बदला गया; वह प्रो. चंद्रशेखर (शिक्षा विभाग), आलोक मेहता (भू-राजस्व विभाग) और ललित यादव (P.H.E.D. विभाग) हैं। अपने बयानों से खुद को विवादित रखने वाले प्रो. चंद्रशेखर के शिक्षा विभाग को बदल कर उनके अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण विभाग ‘गन्ना विभाग’ दिया है। आलोक मेहता को ‘शिक्षा विभाग’ का नया मंत्री बनाया गया। वहीं लालू के कई खास करीबियों में से एक मंत्री ललित यादव को P.H.E.D. विभाग के अतिरिक्त ‘भू राजस्व विभाग’ का प्रभार दिया गया। 

क्यों हटाया गया शिक्षा मंत्री को :

कभी रामायण तो कभी उसके चौपाई और कभी उसके लेखकों की सोच पर छींटा कसना और अपने ही जैसे बयान वीरों के बयानों पर अपना समर्थन देकर मीडिया में सुर्खी बटोरने वाले प्रो. चंद्रशेखर की शिक्षा विभाग वाली जिम्मेदार कुर्सी कल चली गयी। हाल ही में उन्होंने फते बहादुर सिंह के बयान का समर्थन किया था। अब वह गन्ना विभाग जैसे छोटे मंत्रालय के मंत्री बने हैं। 

बताया जा रहा है कि लगातार एक धर्म विशेष पर विवादित बयान देने से राज्य के साथ-साथ पूरे देश में बिहार सरकार की जग-हंसाई होती थी। विरोधी नीतीश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहती थी कि सरकार को अपने नेताओं पर कोई लगाम नहीं है। जिससे नीतीश कुमार भी असहज हो जाते थे। कई दफा तेजस्वी और तेजप्रताप यादव ने भी उन्हें इन बयानों से बचना चाहिए। यह कह कर नसीहत दे चुके थे। KK पाठक और शिक्षा मंत्री की आपस को ठनती रही है। 

एक समय तो शिक्षा मंत्री ने अपना ऑफ़िस भी आना बंद कर दिया था। फिर नीतीश कुमार के समझाने पर वह वापस आये। 

वहीं 8-16 जनवरी तक छुट्टी पर गए ACS KK पाठक के बारे में कहना कि वह अब शिक्षा विभाग में नहीं आएंगे उन्हें अब काम करने का मन नहीं है। जिससे पूरे सूबे में गलत संदेश गया। यह उक्त प्रकरण ही चंद्रशेखर के डिमोशन का कारण रहा है। 

KK पाठक ने ही चंद्रशेखर को हटाया : 

सूत्रों की माने तो KK पाठक नीतीश कुमार से मिले, मिलने के बाद उन्होंने ही चंद्रशेखर को हटाने का प्रस्ताव CM नीतीश के पास रखा। जिस प्रस्ताव से प्रभावित होकर जब लालू और तेजस्वी यादव नीतीश से मिलने उनके आवास पर गए तब उन्होंने चंद्रशेखर को हटाने की बात उनके सामने रखी और RJD को यह प्रस्ताव मानना पड़ा।