बात जब चुनाव की होती है तब नेताओं की आपसी दोस्ती कब दुश्मनी में बदल जाए यह बड़ी ताज्जुब की बात होती है! अभी यही प्रकरण राजद में देखने को मिल रहा है। दशकों के समाजवादी नेता पांच बार के सांसद और अपनी सीट को सन् 1978 में त्याग कर भारत रत्न कर्पूरी जी वहाँ से चुनाव लड़वा कर मुख्यमंत्री बनाने वाले देवेंद्र प्रसाद यादव आज अपने ही दल और गठबंधन में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
श्री यादव झंझारपुर लोकसभा से जनता पार्टी के समय से ही लगातार 5 बार के सांसद रह चुके हैं, साथ ही केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अपनी पार्टी का विलय राजद में कर लिया और लालू यादव के विश्वस्त सिपाहियों में स्वयं का नाम शामिल कर दिया। राजद ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। इस बीच चुनावों से श्री यादव को साइडलाइन कर दिया गया। श्री यादव को आशा थी कि उन्हें 2024 के आम चुनाव में जरूर झंझारपुर लोकसभा से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। परंतु बात ऐसी रही नहीं, महागठबंधन में सभी घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग होने के बाद अंतिम समय में RJD और VIP की गठबंधन हुई और झंझारपुर लोकसभा जो RJD के खाते में आई थी वह सीट अब VIP के खाते में चली गयी। जिससे श्री यादव को काफी तगड़ा झटका लगा है।
RJD में सीटों का हो रहा व्यवसायीकरण, तेजस्वी का भविष्य खतरे में। कई गंभीर आरोप लाये; देवेंद्र प्रसाद यादव :
श्री यादव ने राजद पर गंभीर आरोपों का पुल बांधते हुए कहा कि राजद में सीटों का व्यवसायीकरण हो रहा है। समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। ऐसे जन आधारहीन लोगों को टिकट दिया जा रहा है जिसका पार्टी और पार्टी के बनने के संघर्ष में कोई योगदान नहीं है। दोहरे चरित्र के लोगों को उम्मीदवार बनाया जा रहा है। आज दल में शामिल हो रहे हैं कल टिकट पा रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष भी पार्टी के आंतरिक सर्वे को अंदेखा कर रहे हैं। जिन सीटों पर पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, वहाँ बाहरी को टिकट दिया जा रहा है। इससे पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है।
यह ना सिर्फ पार्टी, राष्ट्रीय अध्यक्ष बल्कि हमारे नौजवान तेजस्वी यादव जी के भविष्य के साथ भी अच्छा नहीं हो रहा है। लग नहीं रहा कि हम चुनाव लड़ रहे हैं। अब पार्टी को अपने समर्पित कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं है।

Author: Neutral Journalism



