एशियाई समूह के लोगों में भारतीय, ब्रिटिशों सहित सभी जातीय समूहों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। बात जब व्यवसायों में काम करने वालों की हो। बात जब प्रति घंटा वेतन दर, घरों के मालिकाना हक, रोजगार या स्वरोजगार में प्रतिशत की आती है तो पता चलता है कि भारतीय समुदाय कितना संपन्न है। तुलना करने पर पता चलता है कि किराए के घर में रहने वाले भारतीय लोगों की संख्या यहां अन्य समुदायों से कम है। 71 फीसदी के पास अपने खुद के घर हैं और वह सामाजिक रूप से सबसे ज्यादा सशक्त हैं।
ब्रिटेन में किसी भी अन्य समूह की तुलना में भारतीयों के ज्यादा दोस्त हैं। शिक्षा के मामले में 95 फीसदी के साथ भारतीय समुदाय तो वहीं 90 फीसदी के साथ दूसरे स्थान चीनी मूल के लोग हैं। नौकरी के मामले में भारतीय समुदाय के लोग सिर्फ ब्रिटिश लोगों से पीछे हैं। इसके अलावा कंपनियों में करीब 49 फीसदी के साथ टॉप मोस्ट पोस्ट पर सबसे ज्यादा भारतीय मूल के लोग ही है।
एक रिपोर्ट में सामने आया है कि ब्रिटिश भारतीयों को आधुनिक ब्रिटेन में सबसे सफल जातीय-धार्मिक समूहों में से एक के रूप में बताया गया है। रिपोर्ट में पाकिस्तानी-बांग्लादेशी समुदाय के पास व्यवसायों में काम करने वालों का सबसे कम प्रतिशत और सबसे कम प्रति घंटा वेतन दर है। अरब और बांग्लादेशी समुदायों के आर्थिक रूप से निष्क्रिय होने की सबसे ज्यादा संभावना है। रिपोर्ट में जातीय अल्पसंख्यकों के एक नए समूह के बारे में बताया गया है। शहरों में अल्पसंख्यक जो ब्रिटेन के शहरों से शहरों और गांवों में जाने वाले लोगों के बारे में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिन्टस पर एक तरह से पूरा अधिकार-संपत्तियों के मालिक और व्यवसायिक दिमाग वाले ब्रिटिश भारतीय परिवारों का है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ब्रि-िटश भारतीय चुनावी राजनीति में भी सक्रिय हैं और बड़ी मूल भूमिका निभा रहे हैं। प्रवासी डिजिटल संचार की वजह से अपने मूल देशों से ज्यादा जुड़े हुए हैं। यही वह बोयों कारण था जिसकी वजह से लीसेस्टर में संघर्ष भड़क बैंक उठा था। रिपोर्ट में पिछले आम चुनाव से पहले लाए गए में हिंदू और सिख घोषणा-पत्रों की आलोचना की गई है। ■ में इसमें कहा गया है कि यह खुले तौर पर सांप्रदायिक बसे चुनावी राजनीति का हिस्सा है। ब्रिटेन के श्वेत स्नातकों दशी के आगे बढ़ने कि गति अपेक्षाकृत कम है जबकि, कुछ बसे समूहों में उच्च शिक्षित, जैसे कि भारतीय तेजी से आगे के बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी ■में जातीय अल्पसंख्यक ब्रिटिश होने पर गर्व करते हैं। ांवों अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस की तुलना में ब्रिटेन में है रहना पसंद करते हैं। इसमें कहा गया है कि लोग महसूस के करते हैं कि ब्रिटेन दुनिया में अच्छाई के लिए एक ताकत तीय रहा है और वह ब्रिटेन की उपलब्धियों का जश्न मनाना – चाहते हैं।