बिहार में जब से महागठबंधन की सरकार बनी ठीक उसके बाद CM नीतीश कुमार विपक्षी एकता को साधने में विभिन्न BJP विरोधी पार्टियों को एकजुट करने में लग गए हैं। कहा जा रहा था 12 जून 2023 को देश के कई विपक्षी पार्टियां आप में मिलकर मिशन 2024 के रणनीति पर मंथन होता, लेकिन कौडिनेशन के अभाव के कारण तय बैठक की तिथि टल गयी।
इस मुद्दे पर बिहार के पूर्व कृषि मंत्री ने काफी विस्तार से कई बातों साझा किया है, एक निजी चैनल से बात करते हुए सुधाकर सिंह (पूर्व कृषि मंत्री) ने नीतीश कुमार के इस अभियान पर निरर्थक जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि बैठक क्यों रद्द हुआ ये मुझे नहीं पता है, आगे विपक्षी एकता का प्रयास कांग्रेस के नेतृत्व में होना चाहिए, यह मेरा व्यक्तिगत मत है। उन्होंने कहा कि जहाँ कांग्रेस की उपलब्धता ना हो उन बैठकों का कोई औचित्य नहीं है। बिहार बहुत छोटा राज्य है, यह देश की राजनिति तय नहीं करेगा। विपक्ष से PM का उम्मीदवार कौन होगा यह देश की जनता तय करेगी। मेरे हिसाब से अगर BJP को टक्कर देना है तो बैठक के लिए उपयुक्त जगह दिल्ली है। इन छोटे प्रयासों से कुछ नहीं होगा इसके लिए व्यापक प्रयोग करना चाहिए। नीतीश कुमार को कांग्रेस का सहारा लेना चाहिए। अगर कांग्रेस के द्वारा बैठक बुलाई जाती है तो बिना किसी शर्त से सभी दलों को शामिल हो जाना चाहिए। BJP शासित राज्यों में जितने भी CM हैं सभी भष्ट्राचार से लिप्त हैं। नीतीश कुमार भी तो BJP के साथ ही रहे हैं, आज BJP नीतीश कुमार पर आरोप लगाती है, उनसे जाकर पूछिये ना जब आपके पास थे तो बहुत अच्छे थे, अब भष्ट्राचारी हो गए। बिहार में BJP की कोई विश्वसनीयता नहीं है। अंतः कांग्रेस तय करे कि PM का फेस कौन होगा।