रिपोर्ट : सानु झा
1998 में तत्कालीन बिहार सरकार के मंत्री और बाहुबली नेता बृज बिहारी प्रसाद मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान राजद नेता बाहुबली मुन्ना शुक्ला सहित दो अन्य लोगों को अपराधी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई; साथ ही सबूतों के आभाव में कोर्ट ने RLJP नेता सूरजभान सिंह समेत 7 लोगों को बरी कर दी.
किस मामले में होगा मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास :
दरअसल यह उन दिनों की बात है जब देश उत्तरी राजनीति में बाहुबलियों का पकड़ लगातार बढ़ता जा रहा था. उत्तर प्रदेश और बिहार इस मामले में स्वयं को अग्रणी भूमिका में देखता था. 26 साल पहले यानी 13 जून 1998 की यह बात है जब सूबे के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के मंत्रालय का एक बाहुबली मंत्री बृज बिहारी प्रसाद सुरक्षा गार्डों के बीच घिरे रहने के बाद भी पटना के IGIMS हॉस्पिटल में बाहुबलियों के भेंट चढ़ जाते हैं.
इस घटना में मुख्य आरोपी उत्तर प्रदेश का श्रीप्रकाश शुक्ला हो कहा गया क्योंकि जिस गैंग ने नेता पर हमला किया था वह सूरजभान सिंह का गैंग था और उसी गैंग में श्रीप्रकाश शुक्ला ‘शार्प शूटर’ के रूप में कार्यरत था. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के बेंच ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक राजन तिवारी, ललन सिंह, मुकेश सिंह, मंटुन चौधरी और राम निरंजन चौधरी की रिहा कर दिया परंतु मुन्ना शुक्ला के पक्ष में गुनाह का सबूत होने के कारण उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
आखिर क्या है इस केस का इतिहास :
कहा जाता है 80 से 90 का दशक उत्तरी भारतीय राजनीति में बाहुबलियों का दौड़ रहा है. इस दौर में बिहार में कई कुख्यातों ने अपनी पकड़ राजनीति में ऐसी बनाई की उसकी बुनियाद आज भी लगभग कई जगहों पर मजबूत है. बृज बिहारी प्रसाद मोतिहारी से दूरी तय कर बिहार की राजनीति में उन्होंने अपना खूंटा गाड़ दिया. उनकी दबंग छवि तत्कालीन कई दबंगों को उनके वर्चस्व पर खतरा महसूस करवा रही थी. बाहुबली बृज बिहारी और बाहुबली छोटन शुक्ला के बीच हमेशा वर्चस्व की लड़ाई होती रही थी. 4 दिसंबर 1994 को चुनावी कैंपेन से वापस आने के क्रम में छोटन की हत्या हो जाती है, और उसका सीधा आरोप बृज बिहारी पर लगता है. छोटन पीपुल्स पार्टी के नेता थे. यह पीपुल्स पार्टी आनंद मोहन की पार्टी थी. अब शुरू होती है वह कहानी जिसके वजह से मुन्ना शुक्ला को जेल जायेंगे वह भी आजीवन. मोतिहारी में दो डॉन के बीच आपसे अदावत देखने को मिल रहा था, डॉन देवेंद्र दुबे; सूरजभान सिंह के गुट में था और डॉन विनोद सिंह; बृज बिहारी के गुट में था. वर्चस्व के इस लड़ाई में एक बार फिर छोटन शुक्ला के गुट यानी सूरजभान सिंह को बड़ी मुँह की खानी पड़ी कहने का मतलब 22 फरवरी देवेंद्र दुबे की हत्या हो जाती है इसका पुनः आरोप बृज बिहारी पर लगता है.
छोटन की हत्या और दुबे की हत्या से सूरजभान गुट को रहा नहीं गया अंतः सुरक्षा से लैश होने के बाद भी 13 जून को बिहार के कद्दावर नेता मंत्री बृज बिहारी की हत्या अप्रत्याशित हो जाती है और इसका पूरा आरोप सूरजभान सिंह गुट पर आकर लगा. जिसमें अब सुप्रीम कोर्ट ने सबूत के अभाव में कई नामजद आरोपियों को रिहा कर दिया जिसमें सूरजभान सिंह का भी नाम आया परंतु मुन्ना शुक्ला के पक्ष में कोर्ट को जो प्रमाण मिला उससे सर्वोच्च न्यायालय ने 15 दिनों के भीतर उन्हें सरेंडर करने को कहा और आजीवन कारावास भी दे दिया.
क्या बोलीं बृज बिहारी की पत्नी :
बृज बिहारी को न्याय दिलाने में सबसे अधिक उनकी पत्नी का महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने इस केस को निचली अदालत से सर्वोच्च अदालत तक बहुत धैर्यवान होकर पहुंचाई. उनका कहा है कि इस फैसले से पूरा समाज और बिहार खुश है, मैंने यह लड़ाई बहुत कष्ट भोगते हुए जीती हूँ.

Author: Neutral Journalism



